मंगलवार, 10 जून 2008

हे भरतश्रेष्ठ ! चार प्रकार के पुण्यात्मा मेरी सेवा करते हैं -आर्त ,जिज्ञासु , अर्थार्थी , तथा ज्ञानी ! (७.16)

इनमे से जो परम ज्ञानी और शुद्ध भक्ति मैं लगा रहता है वह सर्वश्रेष्ठ है और क्योंकि मैं उसे अत्यन्त प्रिय हूँ और वह मुझे प्रिय है ! (७.१७)

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